राजस्थान राज्य से जुड़ी सरकारी नौकरियों की सभी खबरों और उनसे जुड़े स्टडी मटेरियल के लिए आप नीचे दिए लिंक से हमारा टेलीग्राम चैनल और वॉट्सएप चैनल जरूर ज्वाइन करें👇👇👇

टेलीग्राम चैनल लिंक

व्हाट्सएप चैनल लिंक

अलखिया संप्रदाय - राजस्थान के प्रमुख संप्रदाय

Complete Information About Alakhiya Sect In Hindi

अलखिया संप्रदाय के बारे में

प्रवर्तक या संस्थापक स्वामी लालगिरी 
प्रमुख पीठ/गद्दी बीकानेर
प्रसिद्ध ग्रन्थ  अलख स्तुति प्रकाश 
समाधि स्थल गलता जी जयपुर
भक्ति धारा निर्गुण भक्ति धारा (निराकार ईश्वर)
जन्म स्थान सुलखनियां गांव, चूरू 
काल  19 वीं शताब्दी मध्यकाल 
संत स्वामी लालगिरी जी महाराज
अलखिया संप्रदाय 

अलखिया संप्रदाय के बारे में तथ्य 

  • लालगिरी जी महाराज मोची जाति के थे इसी कारण इस संप्रदाय में भी सर्वाधिक मोची जाति के लोग ही पाए जाते है। 
  • इस संप्रदाय के लोग चूरू और बीकानेर जिले में मिलते है जो जाति पाती में विश्वास नहीं करते और निराकार ईश्वर की स्तुति करते है। 
  • स्वामी लालगिरी जी ने ही अलख सागर बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 
  • इनके काव्य और ग्रंथों की भाषा राजस्थानी (मारवाड़ी) है जिसमें उनके 29 सबब है। 
  • इस संप्रदाय की सम्मानजनक अभिवादन की प्रणाली ' अलख मौला ' है। 

संत लालगिरी महाराज की जीवनी और उनके अलखिया संप्रदाय के बारे में

अलखिया संप्रदाय के संस्थापक/प्रवर्तक स्वामी लालगिरी जी महाराज है, जिनका जन्म सुलखिया गांव चूरू में हुआ और इनका समाधि स्थल गलता जी जयपुर में है।

लालगिरी महाराज का बचपन 

लालगिरी जी जब छोटे थे तो उन्हें दादू संप्रदाय की नागा शाखा के एक साधु अपने साथ ले गए उसके बाद वे वापस साल 1829 में बीकानेर लौटे और लोगों को उपदेश देने लगे। 

12 वर्ष तक की तपस्या 

इस संप्रदाय की प्रमुख पीठ/धाम/ गद्दी बीकानेर में स्थित है जहां पर इन्होंने 12 वर्ष तक बीकानेर दुर्ग के सामने बैठकर तपस्या की थी जहां आज इनकी याद में लाल पत्थर स्थापित किया गया है जिसपर अलखिया संप्रदाय के लोग नारियल चढ़ाने आते है। 

स्वामी लालगिरी जी द्वारा बताया गया अलख का मतलब 

स्वामी लालगिरी जी ने अलख को "जो निराकार यानि जिसका कोई आकर ना हो, निर्लेप यानि जिसका जो किसी चीज में लिप्त ना हो जिसे ना सुख का अनुभव हो और ना दुख का, निरंजन यानि जो शुद्ध, पवित्र और दोष रहित हो वही एकमात्र परम सत्य है।" और इस संप्रदाय के लोग इसी अलख की उपासना को सार्थक मानते है जिसके कारण ही इस संप्रदाय का नाम अलखिया पड़ा था। 

प्रसिद्ध ग्रन्थ 

इस संप्रदाय के अनुयायियों के लिए दो प्रसिद्ध ग्रन्थ है एक ' अलख स्तुति प्रकाश' और दूसरा लालगिरी की कुंडली (कुंडलियां) जिनमें लालगिरी जी के उपदेश और रचनाएं है। 

Note:- इन्होंने अपने अनुयायियों को परम सत्य की खोज करने के लिए प्रेरित किया। 

यह भी पढ़ें 

मैं निशु राजपूत अलवर राजस्थान का रहने वाला हूं पढ़ाई में एम.ए. कर चुका हूं और बहुत सालों से क्रिकेट से संबंधित और स्टूडेंट्स के लिए सरकारी नौकरी और योजनाओं की जानकारी दे रहा हूं।

एक टिप्पणी भेजें

Cricket Telegram Channel