अलखिया संप्रदाय के बारे में
प्रवर्तक या संस्थापक | स्वामी लालगिरी |
प्रमुख पीठ/गद्दी | बीकानेर |
प्रसिद्ध ग्रन्थ | अलख स्तुति प्रकाश |
समाधि स्थल | गलता जी जयपुर |
भक्ति धारा | निर्गुण भक्ति धारा (निराकार ईश्वर) |
जन्म स्थान | सुलखनियां गांव, चूरू |
काल | 19 वीं शताब्दी मध्यकाल |
![]() |
अलखिया संप्रदाय |
अलखिया संप्रदाय के बारे में तथ्य
- लालगिरी जी महाराज मोची जाति के थे इसी कारण इस संप्रदाय में भी सर्वाधिक मोची जाति के लोग ही पाए जाते है।
- इस संप्रदाय के लोग चूरू और बीकानेर जिले में मिलते है जो जाति पाती में विश्वास नहीं करते और निराकार ईश्वर की स्तुति करते है।
- स्वामी लालगिरी जी ने ही अलख सागर बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- इनके काव्य और ग्रंथों की भाषा राजस्थानी (मारवाड़ी) है जिसमें उनके 29 सबब है।
- इस संप्रदाय की सम्मानजनक अभिवादन की प्रणाली ' अलख मौला ' है।
संत लालगिरी महाराज की जीवनी और उनके अलखिया संप्रदाय के बारे में
अलखिया संप्रदाय के संस्थापक/प्रवर्तक स्वामी लालगिरी जी महाराज है, जिनका जन्म सुलखिया गांव चूरू में हुआ और इनका समाधि स्थल गलता जी जयपुर में है।
लालगिरी महाराज का बचपन
लालगिरी जी जब छोटे थे तो उन्हें दादू संप्रदाय की नागा शाखा के एक साधु अपने साथ ले गए उसके बाद वे वापस साल 1829 में बीकानेर लौटे और लोगों को उपदेश देने लगे।
12 वर्ष तक की तपस्या
इस संप्रदाय की प्रमुख पीठ/धाम/ गद्दी बीकानेर में स्थित है जहां पर इन्होंने 12 वर्ष तक बीकानेर दुर्ग के सामने बैठकर तपस्या की थी जहां आज इनकी याद में लाल पत्थर स्थापित किया गया है जिसपर अलखिया संप्रदाय के लोग नारियल चढ़ाने आते है।
स्वामी लालगिरी जी द्वारा बताया गया अलख का मतलब
स्वामी लालगिरी जी ने अलख को "जो निराकार यानि जिसका कोई आकर ना हो, निर्लेप यानि जिसका जो किसी चीज में लिप्त ना हो जिसे ना सुख का अनुभव हो और ना दुख का, निरंजन यानि जो शुद्ध, पवित्र और दोष रहित हो वही एकमात्र परम सत्य है।" और इस संप्रदाय के लोग इसी अलख की उपासना को सार्थक मानते है जिसके कारण ही इस संप्रदाय का नाम अलखिया पड़ा था।
प्रसिद्ध ग्रन्थ
इस संप्रदाय के अनुयायियों के लिए दो प्रसिद्ध ग्रन्थ है एक ' अलख स्तुति प्रकाश' और दूसरा लालगिरी की कुंडली (कुंडलियां) जिनमें लालगिरी जी के उपदेश और रचनाएं है।
Note:- इन्होंने अपने अनुयायियों को परम सत्य की खोज करने के लिए प्रेरित किया।
यह भी पढ़ें
- नैनवा सभ्यता - राजस्थान के प्राचीन सभ्यता स्थल
- लालदासी संप्रदाय - राजस्थान के प्रमुख संप्रदाय
- राजस्थान सूचना आयोग के अध्यक्षों की लिस्ट (2006 से 2025 तक सभी की)
- राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 14 सितंबर 2025 को दूसरी पारी की उत्तर कुंजी
- राजस्थान में कौनसा विभाग विभिन्न राज्य सेवाओं में भर्ती के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है?