यह सवाल राजस्थान (RPSC) असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 10 दिसंबर 2025 को इतिहास के द्वितीय पेपर में पूंछा गया था।
इसके चार विकल्प इस प्रकार थे।
- वीरमदेव एवं फिरोजा के विवाह की तैयारी करने हेतु
- खिलजी की पुत्री द्वारा कान्हड़देव के पुत्र से विवाह के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के कारण
- खिलजी द्वारा हिन्दू राजाओं की शक्ति को चुनौती दी गई, जो सहन नहीं हुई
- खिलजी द्वारा गुप्त रूप से जालौर पर आक्रमण की तैयारी किये जाने पर
- अनुत्तरित प्रश्न
इस प्रश्न का सही उत्तर (3) खिलजी द्वारा हिंदू राजाओं की शक्ति को चुनौती दी गई जो सहन नहीं हुई
- कान्हड़दे प्रबंध के अनुसार:- जब अलाउद्दीन खिलजी ने 1298 ईस्वी में गुजरात विजय के लिए अभियान किया तो दिल्ली से गुजरात मार्ग में जालौर पड़ता था तो अलाउद्दीन खिलजी ने कान्हड़दे को कहलवा के भेजा की शाही सेना को अपनी सीमा से गुजरने दिया जाए। परन्तु शाही सेना का नेतृत्व कर रहे उलूगखां और नुसरतखां पर राजपूतों ने हमला कर दिया और उलूगखां अपनी जान बचाकर भाग गया।
- इतिहासकार फरिश्ता की किताब तारीख ए फरिश्ता के अनुसार:- इसी अभियान के दौरान 1305 में एन उल मुल्क मुल्तानी के नेतृत्व में एक सेना भेजी गई इस बार सेनानायक कान्हड़दे को गौरवपूर्ण संधि का आश्वासन देकर दिल्ली ले गया। कान्हड़दे को अपनी स्थिति खिलजी दरबार में सम्मानजनक नहीं लगी वह वहां से लौटकर निकल जाना चाहता था।
- एक दिन सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने इस बात पर तंज सा कसा और कहा कोई हिंदू शासक उसकी शक्ति के सामने टिक नहीं सका। ये शब्द कान्हड़दे को चुभ गए और वह सुल्तान को अपने विरुद्ध लड़ने की चुनौती देकर जालौर लौट गया और युद्ध की तैयारी करने लगा।
- मुहणोत नैणसी के अनुसार:- कान्हड़दे का पुत्र वीरमदे अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में रहता था सुंदर था और शक्तिशाली था तो हरम की एक राजकुमारी फिरोजा उससे प्रेम करने लगी। वीरम को उससे विवाह करने के लिए बाध्य किया गया लेकिन तर्क कन्या से विवाह करना अधार्मिक समझ वह जालौर वापस लौट आया। इस मानहानि से नाराज होकर सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर पर आक्रमण कर दिया।
- कान्हड़ दे प्रबंध के अनुसार:- जब सुल्तान को जालौर पर आक्रमण करने पर कोई सफलता नहीं मिली तो कुमारी फिरोजा स्वयं गढ़ में गई तो कान्हड़दे ने स्वयं उसका स्वागत किया लेकिन पुत्र से विवाह करने के लिए मना कर दिया।
- हताश होकर राजकुमारी दिल्ली लौट गई उसके कुछ वर्ष बाद अलाउद्दीन ने फिरोजा की धाय गुलबिहिशत को जालौर आक्रमण के लिए भेजा। उससे कहा गया वीरम देव बन्दी हो जाए तो जीवित लाया जाए और मर जाए तो उसका सिर लाया जाए। और राजपूत सेना हार गई और वीरम दे वीरगति को प्राप्त हुआ तो उसका सिर दिल्ली लाया गया।
- राजकुमारी को सिर दिया गया और वह सती होने के लिए तैयार हुई और वीरम दे का अंतिम संस्कार करके राजकुमारी ने यमुना में कूदकर अपनी जान दे दी।
- डॉ. दशरथ शर्मा के अनुसार:- उत्तरी भारत के अन्य दुर्गों जिनमें चित्तौड़गढ़, रणथंभौर आदि प्रमुख थे सैनिक अड्डे बनाए रखने के लिए जालौर की स्वतंत्रता को समाप्त करने की सुल्तान जी दृढ़ता अंतिम आक्रमण का कारण माना जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें
- 1857 की क्रांति के दौरान जयपुर रियासत में किस परगने के आमिल ईसरदास ने टौंक के नवाब की विद्रोही सेना को सहायता प्रदान की थी?
- मालदेव ने नागौर के शासक दौलत खाँ को पराजित कर वहाँ का सूबेदार किसे नियुक्त किया?
- सवाई जयसिंह के काल में फ्रेंच ग्रंथ 'लॉगरिथम' का संस्कृत में अनुवाद किसने किया था?
- बाबर के खिलाफ राणा सांगा के पक्ष में खानवा का युद्ध लड़ने के लिए बिजोलिया और देवलिया से किन राजाओं ने भाग लिया था?
- "गुहिल, एक स्वतंत्र एवं विस्तृत राज्य का स्वामी था", यह तथ्य किस मुद्रा संग्रह से प्रमाणित होता है?