राजस्थान में तीन जगह ब्रह्मा जी के मंदिर है सबसे बड़ा तो है पुष्कर अजमेर दूसरा आसोतरा (बालोतरा) में और तीसरा है छींच बांसवाड़ा में स्थित है।
बांसवाड़ा के छिंच गांव में ब्रह्मा जी के मंदिर में आदम कद के ब्रह्मा जी की काले पत्थर की मूर्ति लगी हुई है और यह मंदिर 12वीं सदी का बना हुआ है।
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ब्रह्मा जी मंदिर छिंच |
छिंच के ब्रह्मा मंदिर के पास बने तालाब की महत्वता
इस मंदिर के पास एक छोटा सा तालाब भी है जिसमें कमल के फूल उगते है इसमें सप्त धातु की मूर्ति मिली थी जिसके कारण कहा जाता है कि यह जल औषधियों से युक्त है इसमें स्नान से चर्म रोग दूर होते है।
छिंच ब्रह्मा मंदिर में पूजा विधि
सभी लोग मंदिर के पास में ही बने तालाब में स्नान करते है उसके बाद ही ब्रह्मा जी का जलाभिषेक करते है।
कार्तिक मास की एकादशी से कार्तिक मास की पूर्णिमा तक सभी जाने वाले श्रद्धालु सरोवर में दीपदान करते है।
छिंच के ब्रह्मा मंदिर का इतिहास
पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने बांसवाड़ा राज्य के इतिहास में बताया कि 8वीं सदी में बने इस मंदिर में भगवान ब्रह्मा जी की सप्तधातु की मूर्ति थी।
इस देवालय का कई बार जीर्णोद्धार हो चुका है। मंदिर के गर्भगृह में 6 फीट ऊंची कृष्णवर्ण की घनी दाढ़ीदार और जटायुक्त ब्रह्माजी की मूर्ति कमल पर विराजित है और कमल भगवान विष्णु की नाभि से निकलता हुआ मूर्ति में साफ नजर आता है। ब्रह्मा की चतुर्मुख प्रतिमा से युक्त इस मंदिर के बाहर सभामंडप में 12वीं शताब्दी की ब्रह्माजी की प्राचीन प्रतिमा भी है, जिसके नासिका, ठुड्डी अन्य अंग खंडित हैं।
जिसके चलते बांसवाड़ा के तत्कालीन महारावल जगमाल सिंह जी ने नई मूर्ति स्थापित करवाई। ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार 26 अप्रैल 1537 ईस्वी गुरुवार के दिन महारावल द्वारा उसी वेदी पर प्रतिमा की प्रतिष्ठा की।
सभा मंडप के खंभों पर उत्कृष्ट कारीगरी की छाप दिखाई देती है। इनमें से एक स्तम्भ पर विक्रम संवत 1552 का एक शिलालेख हैं, जिस पर लिखा हैं कि कल्ला के पुत्र देवदत्त ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था
मंदिर के बाहर चौक पर विक्रम संवत 1577 का एक लेख खुदा है, जिसमें जगमाल को महारावल लिखा है। ब्रह्मा मंदिर के गर्भगृह में मौजूद ब्रह्मामूर्ति तीसरी है।