केसरोली का किला (Kesroli Fort) राजस्थान के अलवर जिले में स्थित एक पहाड़ी किला है। 14वीं शताब्दी में राजपूतों द्वारा बनाया गया ये किला वर्तमान में नीमराना हेरिटेज होटल्स ग्रुप द्वारा प्रतिबंधित और संचालित है।
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केसरोली पहाड़ी किला होटल |
केसरोली किले की वास्तुकला
यह किला अपने बुर्जों, प्रचारों और मेहराबदार बरामदों के लिए और अपनी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
इस किले की बारीक नक्काशी, विशालता, साज सज्जा और ऊंची दीवारें इसे अद्भुत बनाती है।
इस किले में बालकनियों और विशाल छज्जों के साथ एक स्विमिंग पूल भी है जिसमें रुकने वाले पर्यटक अपनी छुट्टियों का आनंद लेते है।
नीमराना होटल्स ग्रुप ने इसका जीर्णोद्वार कार्य 1995 से 1998 ईस्वी तक किया बाद में इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया।
केसरोली किले का इतिहास
इस किले का निर्माण 7वीं शताब्दी का माना जाता है जब इसे यदुवंशी जो भगवान श्रीकृष्ण के वंशज है उन्होंने बनवाया और बाद में 14वीं शताब्दी में उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और उसके बाद वे खानजादा के नाम से पहचाने जाने लगे।
खानजादा संभरपाल यादव ने दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाले फिरोज शाह तुगलक के शासनकाल के दौरान इस्लाम धर्म अपना लिया था। संभरपाल के पूर्वज श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न को अपना पूर्वज मानते थे। फिरोज शाह तुगलक ने संभरपाल का नाम बदलकर बहादुर नाहर रख दिया और उसे दिल्ली के आसपास के कई इलाके सौंप दिए।
इसके बाद फिरोज शाह तुगलक का साथ पाने के बाद बहादुर नाहर ने पूरे मेवात कर कब्जा कर लिया।
साल 1448 से 1485 ईस्वी तक जकारिया खान के शासन के समय दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी से मेवात के अच्छे संबंध थे।
इसलिए इन्होंने पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर के खिलाफ इब्राहिम लोधी का साथ दिया।
खानजादा ज़कारिया खान के बेटे अलावल खान 1492 ईस्वी में मेवात के शासक बने जिन्होंने अलवर के पास निकुंभ राजपूतों की भूमि पर कब्जा कर लिया जिससे राजपूतों में गुस्सा फूट पड़ा।
दूसरा दौर जब आया जब 1775 में अलवर रियासत की स्थापना से पहले इसपर पुनः हिन्दू राजपूतों ने कब्जा कर लिया।
राणावत ठाकुर भवानी सिंह (1882-1934) के शासनकाल में इस किले ने अपना स्वर्णिम काल देखा ये वही भवानी सिंह है जो अपनी घुड़सवारी कला के लिए प्रसिद्ध थे।