आपने मेवाड़ की पन्ना धाय के बारे में तो सुना होगा तो उसी प्रकार समझ लीजिए मेवाड़ में जो स्थान पन्ना धाय को प्राप्त है वहीं महत्व मारवाड़ में गोरा धाय का है।
गौरा धाय का जन्म 4 जून 1646 को एक माली परिवार में रतनोजी टाक व माता रूपा के घर जोधपुर में हुआ और इनका विवाह मंडोर के मनोहर गोपी भलावत के साथ हुआ था।
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| गोरां धाय (Gora Dhay) |
जोधपुर महाराजा जसवंत सिंह की जमरूद में 1678 ईस्वी में मृत्यु हो जाने के बाद उनके सरदारों ने महाराजा के परिवार को सुरक्षित रूप से जोधपुर ले जाना चाहा मार्ग में महाराजा जसवंत सिंह की रानी ने राजकुमार अजीतसिंह को जन्म दिया यह ख़बर मिलने पर औरंगजेब ने जसवंतसिंह के परिवार को दिल्ली बुला लिया।
औरंगजेब का ये इरादा था या तो अजीतसिंह को मार दिया जाए या उसका धर्म परिवर्तन कर दिया जाए इसलिए ही उसने उन्हें दिल्ली बुलाया था।
वीर दुर्गादास राठौड़ को औरंगजेब के इरादे ठीक नहीं लगे तो उन्होंने महाराजा के उत्तराधिकारी राजकुमार अजीतसिंह को बचाने की युक्ति सोची जिसमें दुर्गादास राठौड़ और अन्य वफादार राजपूत सरदारों ने मिलकर गौरा धाय को एक साधारण सफाईकर्मी का स्वांग रचाकर राजकुमार को शाही पहरे से निकालने की योजना बनाई।
गौरा धाय ने अपने पुत्र को अजीतसिंह के स्थान पर रख दिया और राजकुमार को टोकरे में सुरक्षित बाहर ले आई और राजकुमार अजीतसिंह को गौरा धाय ने मुकनदास खींची जो उस समय सपेरे के भेष में था उसको दे दिया।
इस प्रकार गौरा धाय ने जोधपुर राज्य के उत्तराधिकार की जान बचाई जिसके कारण गोरां धाय के इस अपूर्व त्याग को जोधपुर राज्य के राष्ट्रीय गीत धूंसा में गाया जाता है। गौरा धाय की ही याद में 1711 ईस्वी में जोधपुर में 6 खंभों से युक्त एक छतरी का निर्माण करवाया गया और जोधपुर में इनके नाम पर गोरां धाय बावड़ी भी है इनका निर्माण अजीतसिंह ने ही करवाया था।
जैसे ही औरंगजेब को इस धोखे का पता लगा उसने दासी गौरा धाय और उसके बेटे को बंदी बना लिया और बेटे को मुसलमान बनने के लिए भेज दिया कई इतिहासकार मानते है तो औरंगजेब ने दोनों को मरवा दिया था।
