यह आंदोलन मेव काश्तकारों और किसानों का आंदोलन था जो 1933 में गोविंदगढ़ में कस्टम ड्यूटी लगाने के खिलाफ किया गया।
गोविंदगढ़ में जैसे ही कस्टम ड्यूटी लगाई तो आम लोगों के साथ बनिया भी परेशान हो गए और उन्होंने मेवों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का वादा भी किया।
इसी कारण 6 जनवरी 1933 को गोविंदगढ़ में मेवों और बनियाओ की शांतिपूर्ण चल रही सभा पर अंग्रेज अधिकारी इबटसन ने किसानों पर गोलियां चलवाई।
इसमें अनुमानित 100 मौतें हो गई और 500 से अधिक किसान घायल हो गए।
अलवर रियासत को झुकना पड़ा और मरने वालों को मुआवजा देना पड़ा और कर में भी राहत दी गई।
इसके बाद अलवर के राजा जय सिंह को 2 साल के लिए फ्रांस में देश निकाला दे दिया क्योंकि अंग्रेजों को शक था कि महाराज आम जनता के साथ मिलकर आंदोलन करवा रहे है।
