क्रिकेट की खबरें SportsShots.in 

अगर आप राजस्थान से है और यहां की सरकारी नौकरियों के साथ योजनाओं की खबरें और चर्चित करेंट अफेयर्स न्यूज सबसे पहले जानना चाहते है तो नीचे दिए गए लिंक से हमारा चैनल जरूर ज्वाइन करें 👇👇👇

टेलीग्राम चैनल लिंक

व्हाट्सएप चैनल लिंक

आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के प्रोफेसर ब्रिटेन और जर्मनी के कॉलेजों में आयुर्वेद पढ़ाएंगे

ऐसा देश में पहली बार होने जा रहा है जब भारत का कोई विश्वविद्यालय इंटरनेशनल लेवल पर दूसरे देश के विद्यार्थियों को पढ़ाने जा रहा है। 

यह काम करने जा रहा है राजस्थान के जोधपुर में स्थित सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय को ब्रिटेन और जर्मनी के कॉलेजों में आयुर्वेद की पढ़ाई करवाएगा।

पहले अपने देश से फिर आयेंगे जोधपुर 

आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेद एकेडमी, कम्युनिटी इंटरेस्ट कंपनी (ब्रिटेन) और इंडो-जर्मन यंग लीडर्स फोरम फॉर ए रिस्पॉन्सिबल फ्यूचर ईवी (जर्मनी) के साथ एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) किए हैं। इसके तहत जर्मन और ब्रिटिश छात्र साढ़े तीन साल अपने के कैंपस से ऑनलाइन आयुर्वेद पढ़ेंगे।

इसके बाद वे 1.5 साल जोधपुर आकर ट्रेनिंग लेंगे इसमें उन्हें BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) कोर्स चलाया जाएगा। इसके अलावा NCISM (नेशनल कमिशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन) की गाइडलाइन के आधार पर आयुष के कुछ विशेष पाठ्यक्रमों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। ये पाठ्यक्रम भी विदेशी विश्वविद्यालयों में छात्रों को पढ़ाए जाएंगे।

ऑनलाइन पढ़ा सकेंगे और कैंपस में भी जाकर पढ़ाएंगे प्रोफेसर 

विदेशी कॉलेजों और वहां के विश्वविद्यालयों के आयुर्वेद पढ़ाने के टाइम टेबल को भी इस प्रकार तय किया गया है को जोधपुर के टाइम टेबल पर इससे कोई असर ना पड़े। 

यहां के प्रोफेसर स्टूडेंट्स को ऑनलाइन पढ़ा सकते है और यह भी तय किया गया है कि प्रोफेसर ब्रिटेन और जर्मनी जाकर ऑफलाइन भी पढ़ाएंगे। 

नेचुरोपैथी और होम्योपैथी का भी होगा मिलन 

आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने केंद्रीय आयुर्वेदिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी, पुणे और केंद्रीय होम्योपैथी परिषद, जयपुर के साथ मिलकर पीएचडी कोर्स शुरू किया है। यह प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीकों जैसे जीनोमिक्स और बायोटेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर नई औषधियों और उपचार पद्धतियों के विकास के लिए शुरू किया गया है। इसमें शोध करने वाले वैज्ञानिकों का इस बात पर फोकस होगा कि आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान के इस्तेमाल को नई तकनीक के साथ मिलाकर और ज्यादा प्रभावी कैसे बनाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें 

एक टिप्पणी भेजें

Cricket Telegram Channel