स्थान (अवस्थिति) | कोटड़ा तहसील व झाड़ोल तहसील, उदयपुर ज़िला, राजस्थान राज्य |
क्षेत्रफल | 511.41 वर्ग किलोमीटर (197.46 वर्ग मील) |
स्थापित किया गया | 1983 |
जलवायु | अर्ध-शुष्क |
वार्षिक वर्षा | 730 मिमी |
समुद्र तल से ऊंचाई | 600 से 900 मीटर |
प्रशासनिक मुख्यालय | उदयपुर के कोटड़ा तहसील में |
नदी | वाकल नदी इसे दो भागो में विभाजित करती है। |
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फुलवारी की नाल वन्यजीव अभयारण्य |
फुलवारी की नाल अभ्यारण्य का परिचय
फुलवारी की नाल अभ्यारण्य राजस्थान के उदयपुर जिले की दो तहसीलों (कोटड़ा और झाड़ोल) में 511.41 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
हिंदू हृदय सम्राट वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की कर्मभूमि रहा ये क्षेत्र वर्षभर फूलों से ढका रहने के कारण फुलवारी कहलाता है।
दक्षिण राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों में स्थित यह क्षेत्र 6 अक्टूबर 1983 को वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया गया।
इस अभयारण्य से मांसी वाकल जल परियोजना गुजरती है।
वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध
यहां पाए जाने वाले प्रमुख जानवरों में में बड़ी पूंछ वाला नाइटजार, उड़ने वाली गिलहरी, तीन धारीदार ताड़ गिलहरी, भारतीय गिरगिट, भारतीय सितारा कछुआ, माउस हिरण, चार सींग वाला मृग, और पैंथर शामिल हैं।
अभ्यारण्य में मिलने वाली वनस्पतियां
वृक्ष, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ, लताएँ, घास, आर्किड आदि शामिल हैं। राजस्थान में "महुवा" वृक्षों का सबसे बड़ा समूह इसी अभयारण्य में स्थित है। यह अभयारण्य सौ से भी अधिक औषधीय पौधों का भंडार है।
फुलवारी की नाल अभ्यारण्य में एंट्री फीस
भारतीय नागरिक | ₹20 |
विदेशी नागरिक | ₹160 |
भारतीय विद्यार्थी | ₹4 |
बस (वाहन) | ₹200 |
जिप्सी, कार, जीप, मिनी बस | ₹130 |
दुपहिया वाहन | ₹20 |
तांगा/घोड़ा/ऑटो रिक्शा | ₹40 |
वन विभाग द्वारा आयोजित छात्रों की प्रकृति शिक्षा यात्राओं को प्रवेश शुल्क से छूट दी जाएगी।
इस अभयारण्य में कैमरा शुल्क
कैमरा प्रकार | कैमरा शुल्क | इको डेवलपमेंट सरचार्ज | कुल |
शौकिया फोटोग्राफर द्वारा उपयोग किया जाने वाला मूवी 8-16 मिमी और वीडियो कैमरा | ₹100 | ₹300 | ₹400 |
फीचर फिल्मों के अलावा अन्य फिल्मों के लिए पेशेवर फोटोग्राफरों द्वारा उपयोग किया जाने वाला वीडियो कैमरा और मूवी कैमरा (केवल भारतीय कंपनी द्वारा फिल्मांकन)। | ₹2000 | ₹4000 | ₹6000 |
फीचर फिल्मों के अलावा अन्य फिल्मों के लिए पेशेवर फोटोग्राफरों द्वारा उपयोग किया जाने वाला वीडियो कैमरा और मूवी कैमरा (केवल भारतीय कंपनी द्वारा फिल्मांकन) विदेशी कंपनी द्वारा | ₹4000 | ₹10000 | ₹14000 |
फीचर फिल्म के लिए प्रयुक्त मूवी और वीडियो कैमरा | ₹10000 | ₹30000 | ₹40000 |
फुलवारी की नाल में करने वाली और ना करने वाली बातें जो आपको याद रखनी चाहिए
क्या करें
- अभयारण्य में प्रवेश करने से पहले हमेशा वैध प्रवेश टिकट खरीदें और जबतक अभयारण्य में रहें जबतक उसे अपने पास रखें।
- वन्यजीवों को देखने के लिए सुबह जल्दी और दोपहर बाद का समय चुने।
- जंगली जानवरों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
- अभयारण्य के अंदर रहते हुए ऊंची आवाज में बात न करें या हॉर्न न बजाएं।
क्या ना करें
- जंगली जानवरों को खाना खिलाने की कोशिश न करें। इससे जानवरों में शारीरिक विकार पैदा हो सकते हैं, और यह आपके लिए भी जोखिम भरा हो सकता है। अभयारण्य में जंगली जानवरों के लिए भरपूर भोजन उपलब्ध है।
- अभयारण्य में कचरे से पारिस्थितिकी तंत्र को प्रदूषित न करें। कचरा अपने साथ ले जाएं।
- धूम्रपान न करें। इससे आग लग सकती है, खासकर अभयारण्य में ऊँची घास, झाड़ियाँ और बाँस की व्यापक उपस्थिति के कारण। आग वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवास को नष्ट कर सकती है।
- अभयारण्य में ट्रांजिस्टर या कैसेट प्लेयर न लाएं। जंगल के संगीत को ध्यान से सुनें और प्रकृति की धुनों का आनंद लें।
- जानवरों को न छेड़ें। यह आपके लिए बहुत खतरनाक हो सकता और यह दंडनीय अपराध है।
- प्रशिक्षित स्थानीय गाइड के बिना अभयारण्य के अंदर ट्रैकिंग के लिए न जाएं।
फुलवारी की नाल अभयारण्य में कैंपिंग से पहले याद रखने लायक बातें
कमरे का किराया | ₹600 प्रतिदिन |
अतिरिक्त बिस्तर | ₹200 प्रति व्यक्ति |
तंबू किराया साधारण | ₹600 प्रतिदिन |
पेड़ के ऊपर झोपडी | ₹600 प्रतिदिन |
नेचर गाइड के लिए शुल्क | ₹500 प्रतिदिन |
Note: 1. स्थानीय पारिस्थितिकी विकास समिति भुगतान पर स्वादिष्ट ग्रामीण भोजन उपलब्ध कराती है।
2. ई एडवेंचर स्पोर्ट्स / मनोरंजन शुल्क: 100-00 (प्रति व्यक्ति प्रति सत्र)
3. साहसिक खेल/मनोरंजन गतिविधियाँ केवल प्रशिक्षित कर्मियों की देखरेख में ही की जानी चाहिए। साहसिक खेल/मनोरंजन गतिविधि के परिणामस्वरूप किसी भी व्यक्ति को होने वाले किसी भी नुकसान के लिए वन विभाग उत्तरदायी नहीं होगा।
फुलवारी वन्य जीव अभयारण्य कितने गांवों में फैला हुआ है?
यह अभयारण्य आपको कोटड़ा और झाड़ोल तहसीलों के 134 गांवों में फैला हुआ है।
विश्राम गृह
अभ्यारण्य के अंदर और आसपास तीन जगह विश्राम गृह है
- पानरवा
- मामेर
- कोटड़ा
फुलवारी की नाल अभ्यारण्य का छोटा सा इतिहास
यह क्षेत्र भोमट के राजपूत राजाओं की शिकारगाह था जिसके लिए यह काफी ज्यादा प्रसिद्ध हुआ।
मेवाड़ के विश्वविख्यात शासक महाराणा प्रताप, सम्राट अकबर के विरुद्ध युद्ध के दौरान "देवलीगढ़" और "भागागढ़" में रुके थे। अभयारण्य के भीतर स्थित इन दोनों किलों के खंडहरों का ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है।
इस अभयारण्य में रहने वाली जनजातियां
- मीणा
- गरासिया
- कथोड़िया
फुलवारी वन्यजीव अभयारण्य को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया
31 अगस्त 2025 भारत सरकार की अधिसूचना:- फुलवारी अभयारण्य की बाहरी सीमाओं से 7.5 किलोमीटर के जॉन को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने की ईशा जताई गई।
जून 2024 में:- 202.34 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित कर दिया गया।